जानें संथाल विद्रोह से जुड़ी संपूर्ण जानकारी / Santhal Vidroh History in Hindi
Santhal Vidroh History in Hindi |
जी हां दोस्तों आज का हमारा लेख भारत के इतिहास में हुए विभिन्न विद्रोह में से एक विद्रोह जिसे संथाल विद्रोह के नाम से जाना जाता है से संबंधित है. हमारे इस लेख में संथाल विद्रोह के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है.
इस लेख को पढ़ कर आप संथाल विद्रोह से जुडी छोटी से छोटी जानकारी हासिल कर पाएंगे. जैसे संथाल क्या है, संथाल विद्रोह क्यों हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ इत्यादि. तो चलिए जानते है
संथाल विद्रोह से जुडी रोचक व् सम्पूर्ण जानकारी - Santhal Rebellion History in Hindi
Santhal Vidroh History in Hindi |
संथाल का अर्थ
संथाल भारत की प्राचीन जनजातियों में से एक है. प्राचीन समय में यह जनजाति बिहार व् पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में निवास करती थी. इस जनजाति के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था..यह लोग जंगलों को काटकर खेती योग्य भूमि बनाकर उस पर कृषि किया करते थे.इनके प्रमुख निवास स्थान कटक, छोटा नागपुर, पलामू, हजारीबाग, भागलपुर, पूर्णिया इत्यादि थे. औपनिवेशक काल (भारत में अंग्रेज़ों के शासन काल को औपनिवेशिक या उपनिवेश काल कहा जाता है. यह काल सन् 1760 से 1947 ई. तक माना जाता है) में संथाल जनजाति का बहुत बड़े भू भाग पर अधिकार था.
औपनिवेशिक काल के शुरुआती दौर में संथाल जनजाति का जीवन समृद्ध और खुशहाल था.
संथाल विद्रोह (Santhal Rebellion) क्यों हुआ व् इसकी शुरुआत कैसे हुई ?
संथाल जनजाति के लोग औपनिवेशिक काल के शुरुआती दौर में अपने जीवन को खुशहाली से जी रहे थे. वह अपने भोजन के लिए कृषि कर पर निर्भर रहते थे व् रहने के लिए जंगली भूमि का इस्तेमाल करते थे.
संथाल लोगो की खुशहाली व इनका विस्तृत भू-भाग अंग्रेजों की आंखों में किरकिरी बन कर चुबता था. इसी कारण अंग्रेजों ने संथालो की भूमि को जमीदारों को देना शुरू कर दिया व् इस भूमि का वास्तविक अधिकार अंग्रेजो के पास रहा. अब संथाल लोगो के साथ एक चालाकी वाला खेल खेला जाने लगा. जिमींदार संथाल कृषकों से इस भूमि पर कृषि कराने लगे और बदले में भूमि कर लेने लगे.
Santhal Vidroh History in Hindi |
वास्तव में जिमींदार अंग्रेजों और संथालो के बीच की कड़ी थी जो संथालो से कर लेकर अंग्रेजों तक पहुंचते थे. धीरे धीरे संथालो की समृद्धि कम होती चली गई और वह कर्ज में डूबने लगे. इसके बाद इस भू-भाग पर ऋण देने के लिए साहूकारों का जमावड़ा लग गया. अब संथाल लोग साहूकारों से कर्जा लेकर कृषि करते, भूमिकर देते व अपने परिवार को पालने लगे.
परिणामस्वरूप संथालो की आर्थिक व् समाजिक दशा दयनीय स्थिति में पहुंच गई.
अतः अंग्रेजों, जमीदारों व् साहूकारों के शोषण से परेशान होकर संथालो ने विद्रोह का रास्ता चुना. संन 1855 - 56 में संथालो ने सरदार धीर सिंह मांझी के नेतृत्व में एक दल बनाया और विद्रोह का बिगुल बजा दिया.
सबसे पहले संथालो ने महाजनों व् साहूकारों को निशाना बनाया व् उनकी धन संपत्ति को लूटना शुरू किया.
इस विद्रोह के शुरुआती दौर में 4 शक्तिशाली संथाल नेता उभरे जिनका नाम क्रमश सिद्धू, कानू, चांद व् भैरव था.
30 जून 1855 को भगनाडीही गांव में एक विशाल बैठक हुई जिसमे इन चारो नेताओ समेत लगभग 10000 संथाल लोगो ने भाग लिया.
इस बैठक में शपथ ली गई कि आज से संथाल लोग जिमींदारो, साहूकारों व् अंग्रेजों का शोषण नहीं सहेंगे और इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे.
इस बैठक के पश्चात यह छोटा सा विद्रोह एक शक्तिशाली विद्रोह में बदल गया. संथालो के विद्रोह का भयंकर रूप देखकर अंग्रेजी सरकार के भी कान खड़े हो गए और अंग्रेजी सरकार ने इसका हल खोजना शुरू कर दिया.
संथालो के द्वारा किए गए इस विद्रोह में अंग्रेजों, जमीदारों व साहूकारों को जमकर निशाना बनाया जाने लगा. इस दौरान अंग्रेज अफसरों के साथ जमकर लूटमार व् मारपीट की जा रही थी.
परिणाम स्वरूप अंग्रेजी सरकार ने इस विद्रोह को समाप्त करने के लिए दमनकारी नीति को अपनाया.
संथाल विद्रोह (Santhal Rebellion) कैसे समाप्त हुआ ?
संथाल विद्रोह को समाप्त करने के लिए अंग्रेजों ने जमकर हथयारों का प्रयोग किया. ब्रिटिश सरकार के फरमान अनुसार: संथाल लोगो के हाथ में हथियार दिखते ही उन्हें तुरंत गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता.
अंग्रेजी सेनाओं ने हजारों संथालो को पकड़ कर कठोर दंड देना शुरू कर दिया. उन्होंने हजारों संथालो को बंदी बना लिया और उन पर अनेक अत्याचार किए.
परिणामस्वरूप संथाल विद्रोह कमजोर पड़ गया व् इस विद्रोह का अंत हो गया.
संथाल विद्रोह (Santhal Rebellion) निष्कर्ष
संथाल विद्रोह के परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार को संथालो की दशा के बारे में विचार करना जरुरी हो गया व् उन्हें इस स्थिति से निकालने के लिए ब्रिटिश सरकार ने जायज कदम उठाने शुरू कर दिए. ब्रिटिश सरकार द्वारा संथालो को उनकी भूमि पर अधिकार दे दिया गया व् संथालो का अलग से संथाल परगना बना दिया गया.
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