पिता का साया कब काम आया - जब एक बच्चे ने अपनी माँ से पूछा
पिता एक ऐसा जिवंत एहसास जो अपनी संतान से खुद से ज्यादा प्यार करता है. लेकिन वो प्यार कुछ मजबूरियों के बीच छिपा होता है जिसे चंचल संतान देख नहीं पाती और माँ से पूछ लेती है "पिता का साया कब काम आया"
जी हां दोस्तों , आज की हमारी पोएट्री इसी एक लाइन पर लिखी गई है. जिसमे आज हम उन बच्चो को अपनी पोएट्री के जरिए पिता का अपने बच्चों के प्रति बेपनाह प्यार दर्शा रहे है. तो चलिए पढ़ते है
पिता का साया कब काम आया ?
जब तूने बोलना सीखा.
वो तोतली जबान पर प् प् प् नाम आया.
अपनी ऊँगली पकड़ा कर
जिसने चलना सिखाया.
वो तेरी जिद पूरी होने पर
जब तूने सुकून पाया... पिता का साया यहाँ काम आया.
जिसने तुझे किताबो से मिलाया.
जिसने तुझे कम आमदनी में पढ़ाया.
जिसने तेरे जीवन की नीव को
अपने कंधो पर उठाया....पिता का साया यहाँ काम आया.
तेरी वो ख़राब सेहत में,
जिसने ने गले से लगाया.
जिसने तेरा हौसला बढ़ाया.
जिसने तुझे फिर से स्वस्थ बनाया... वो पिता का साया यहाँ काम आया.
तेरा पहले कदम चलने में..
तेरे रोने से लेकर हॅसने में..
तेरे जीवन में सफल होने में..
तेरे आज में व् बीते कल में..
तेरे जीवन के हर पल में..
वो पिता का ही साया था जो काम आया था.....
वो पिता का ही साया था जो काम आया था....
Writer : Aashish
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