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जाने हड़प्पा सभ्यता के बारे में रोचक व महत्वपूर्ण जानकारी


जाने हड़प्पा सभ्यता के बारे में रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य

Harappan Civilization
हड़प्पा सभ्यता विश्व की नदी घाटी सभ्यताओं में गिनी जाने वाली एक प्राचीन सभ्यता है. हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है.सर जॉन मार्शल ने सिन्धु घाटी सभ्यता को ‘हड़प्पा सभ्यता’ का नाम दिया था जिसे आद्य ऐतिहासिक युग का माना गया. यह सभ्यता 2500 ईसा पूर्व से 1500 से पूर्व तक रही.हड़प्पा सभ्यता का विकास सिंधु नदी तथा इसकी सहायक नदियों के किनारे हुआ था. इसका फैलाव उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के किनारे तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट से लेकर उत्तर पूर्व में मेरठ तक था. इस सभ्यता का आकार त्रिभुजाकार था. और इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर था.हड़प्पा सभ्यता का आकार अपने समय की प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया सभ्यताओं से भी बड़ा था. 
Indus Valley Harappan Civilization Important Information in Hindi

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इस सभ्यता को प्राचीन नगरीय सभ्यता में गिना जाता है क्योंकि यह नगरकृत सभ्यताओं में से एक थी.मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र थे. भारतीय उपमहाद्वीप में इस सभ्यता के अब तक 1000 से अधिक स्थलो को खोजा जा चुका है.इस सभ्यता के खोजे गए दो प्रमुख नगर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो दोनों ही पाकिस्तान में है .सर्वप्रथम हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई सर जॉन मार्शल ने कराई थी.हड़प्पा नगर रावी नदी के किनारे बसा हुआ था तथा मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के किनारे बसा हुआ था. हड़प्पा (पाकिस्तान), मोहनजोदड़ो (पाकिस्तान), चन्हूदड़ों, लोथल (गुजरात), रोपड़ (पंजाब) , कालीबंगा (राजस्थान), सूरकोटदा, आलमगीरपुर (मेरठ), बणावली (हरियाणा), धौलावीरा, अलीमुराद (सिन्ध प्रांत), कच्छ (गुजरात), रंगपुर (गुजरात), मकरान तट (बलूचिस्तान), गुमला (अफगान-पाक सीमा) आदि क्षेत्रों में सिन्धु घाटी सभ्यता के कई प्राचीन नगरों की खोज की जा चुकी है.

लोथल इस सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह था तथा मोहनजोदड़ो में एक विशाल स्नानघर की भी खोज की जा चुकी है.
Sindu Ghati Sabyta


मोहनजोदड़ो की खुदाई में एक अन्नागार भी खोजा गया है जिसे हम आम भाषा में अनाज रखने का गोदाम भी कह सकते हैं अर्थात यह लोग अन्नागार में अपने अन्न का भंडारण करते थे.

हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो नगर से अनेकों देवी देवताओं की मूर्तियां भी प्राप्त हुई है प्राचीन इतिहासकारों ने इन मूर्तियों को मातृदेवी या प्रकृति देवी कहा है क्योंकि प्राचीन काल से ही मात्र या प्रकृति देवी की पूजा भारतीय करते रहें है. इन स्थानों पर हुई खुदाई से यह भी ज्ञात हुआ कि हिंदू धर्म की प्राचीन काल में कैसी स्थिति थी.चार्ल्स मैसन ने वर्ष 1842 में पहली बार हड़प्पा सभ्यता को खोजा था लेकिन अधिकारी रूप से सन 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा की अधिकारिक खोज की थी. हड़प्पा में की गई खोज से कहीं ऐसी चीजें मिली है जिन्हें हिंदू धर्म से जोड़ा जा सकता है अर्थात खोजी गयी मूर्ति,बैलनंदी, मातृदेवी, बैलगाड़ी, शिवलिंग, यह सब हिंदू धर्म के ही प्रतीक हैं.मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति की मुहर पर हाथी, गैंडा, बाघ और बैल अंकित हैं।
Harappan Civilization Important Information in Hindi


हड़प्पा कालीन समाज विद्वान,योद्धा, व्यापारी, और श्रमिक वर्ग में बटा हुआ था तथा इस सभ्यता के लोगों का प्रमुख व्यवसाय व्यापार हुआ करता था और ये लोग कपास की खेती के बारे में भी भली भांति जानते थे तथा यह लोग मुद्राओं का निर्माण करने के लिए टेराकोटा का प्रयोग करते थे.
हड़प्पा सभ्यता के लोग उचित समतावादी सामाजिक पद्धति पर आधारित थे.
Mohenjodaro


हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ो से कपड़े के टुकड़े के अवशेष मिले हैं तथा इतिहासकारों के अनुसार पहली बार कपास उपजाने का श्रेय हड़प्पा वासियों को ही दिया जाता है.हड़प्पा वासी चारकोल के बारे में भी जानते थे मोहनजोदड़ो की खुदाई से ज्ञात हुआ है कि यह लोग स्नानघर में पानी के रिसाव को रोकने के लिए चारकोल का प्रयोग किया करते थे हड़प्पा वासी मिट्टी के बर्तनों में मुख्यत लाल रंग का प्रयोग करते थे, तथा हड़प्पा नगर के उत्खनन में कुछ तांबे की मुहरें प्राप्त हुई हैं अर्थात इससे यह ज्ञात होता है कि यह लोग तांबा धातु के बारे में भी जानते थे और हड़प्पा वासियों की अधिकतर मोहरे सेलखड़ी से बनी होती थी.

सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख व्यवसाय कृषि पर आधारित था तथा इस सभ्यता की प्रमुख फसलें गेहूं और जौ थी.कालीबंगा से प्राप्त हल के साक्ष्य मिले हैं जिस से ज्ञात होता है यह लोग खेतों की जुताई करने के लिए हल और बैलों का प्रयोग करते थे. हड़प्पा सभ्यता के लोग घर बनाने के लिए ईटों का प्रयोग करते हैं.तथा इन लोगों के घरों के सामने की सड़कें काफी चौड़ी और सीधी हुआ करती थी तथा एक दूसरे को 90 डिग्री के कोण पर काटती थी.
Indus Valley Civilization


हड़प्पा सभ्यता मातृ प्रधान सभ्यता थी तथा यह अपनी मातृदेवी और प्रकृति देवी की पूजा करते हैं.इन लोगों की भाषा शैली चित्रात्मक थी जिसे अब तक समझा नहीं जा सका है.

1500 ईसा पूर्व के आसपास हड़प्पा सभ्यता बिखर गई और इस सभ्यता का पतन हो गया . प्रसिद्ध इतिहासकारों ने इस सभ्यता के पतन के कई कारण बताए. प्रसिद्ध विद्वान गार्डन चाइल्ड और व्हीलर के अनुसार आर्यों का आक्रमण इस सभ्यता के विनाश का कारण बना. यही मार्शल और एमएस भार्गव इस सभ्यता के पतन का कारण बाढ़, जल पलायन, जलवायु परिवर्तन, को मानते हैं. अंत में निष्कर्ष यही निकलता है इस सभ्यता का अंत बाढ़, जलवायु परिवर्तन, जल प्लावन के कारण ही हुआ था.


दयाराम साहनी और राम लद्दाख बनर्जी जी के अथक प्रयासों से सन 1921 में इस सभ्यता को अधिकारिक रूप से मान्यता मिली.

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Image Source : Pinterest, Gettyimages

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